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by Ankur Author IconMail Icon
Rated: E · Poetry · Other · #1508349
My_Fifth_Shaayari_cum_Poem
त्योंरियाँ आज चढ़ी हैं, हमसे वो नाराज़ हैं,
जाने हमारी किस बात पे, हमसे वो बेज़ार हैं,
वो बताते नहीं हमारी खता हमें , बस इल्जाम लगाए जाते हैं,
अपने लबों पे खामोशी का पर्दा डाळ , सज़ा हमें दिए जाते हैं
जाने किस मुददत में, कुछ किया था हमने
यही सोच कर, मजनून हम हुए जाते हैं
उनको मजरूह करने का तो कोई इरादा ना था कभी,
चेहरे को देख उनके, बस यही माफ़ी की गुजारिश हम किये जाते
© Copyright 2008 Ankur (ankur.agrawal at Writing.Com). All rights reserved.
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