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तुम्हारा दिल : एक प्रेम कहानी |
तुम्हारा दिल : एक प्रेम कहानी एक लड़का था अंतर्मुखी (इंट्रोवार्ड) सा। ना किसी से ज्यादा बाते करना ना कही ज्यादा आना जाना। बस अपनी ही दुनिया में खोया रहना। उसमें न कोई छल कपट था ना वो कभी झूठ बोलता था। वो जिस कॉलेज में पढ़ता था वहा एक सुंदर लड़की भी पढ़ती थी। लड़के को वो लड़की खूब पसंद थी। लेकिन अपने अंतर्मुखी स्वभाव के चलते वो कभी उसे अपने दिल का हाल बता ही नहीं पाता। यहां तक कि इस लड़की से सिर्फ बात करने में भी उसके पसीने छूट जाते। एक दिन कॉलेज खत्म करके घर लौटते वक्त अचानक बारिश होने लगी। लड़का बारिश से बचने के लिए एक पेड़ के नीचे जाकर खड़ा हो गया। सदभाग्य से उसी पेड़ के नीचे वही लड़की भी खड़ी थी जिसे लड़का पसंद करता था। लड़का मन ही मन बहुत खुश हो गया। लड़की भी लड़के के तरफ देख कर मुस्कुराई। लड़का कुछ बोल नहीं पा रहा था तभी लड़की ने ही लड़के से बात करना शुरू कर दिया। लड़की ने बताया कि वह लड़के को जानती है। धीरे-धीरे लड़के की भी हिम्मत खुली और उसने भी लड़की से बातें करना शुरू कर दिया। बातों ही बातों में लड़के को पता चला कि सिर्फ वो ही नहीं लड़की भी उसे पसंद करती है क्योंकि लड़की की बातों से साफ पता चल रहा था कि वह भी लड़के के बारे में काफी कुछ जानती थी जो तभी होता है जब कोई किसी में इंटरेस्ट रखता है। बारिश और ज्यादा जोर से होने लगी और पेड़ के पत्तों से पानी की बूंदे उन दोनों पर गिरने लगी। उनसे बचने के लिए वह और पास खड़े हो गए। इतने पास खड़े होने पर लड़के और लड़की की एकदूजे के प्रति की भावनाए ज्यादा स्ट्रांग हो गई। लड़के ने जीवन में पहली बार हिम्मत करके लड़की से बोल दिया कि वह उसे पसंद करता है। लड़की खुश हो गई और उसने भी यह बात मानी की वह भी लड़के को काफी पसंद करती है। इस तरह से दोनों का प्यार उस पेड़ के नीचे एक नई मंजिल को पा गया। अब दोनों में उसी पेड़ के नीचे कई मुलाकातें होने लगी। वे अब एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते थे। वे अक्सर किसी ना किसी बहाने से उस पेड़ के पास आते और एक दूसरे से मिलते और एक दूसरे से अपने मन की बातें करते। |