\"Writing.Com
*Magnify*
SPONSORED LINKS
Printed from https://www.writing.com/main/view_item/item_id/2072460-
Item Icon
\"Reading Printer Friendly Page Tell A Friend
No ratings.
by dev Author IconMail Icon
Rated: E · Poetry · Experience · #2072460
वर्तमान मे जिओ भुत कि चिंता मत करो
मत देख उस गमनिशा को जिस के पिछे खाई है/
आनंद ले इस बहार का जिसे भोर लाई है//
छ्ल सव्प्नो को याद करना/
रो-रो कर आहे भरना//
ये पतन तुमहारा कर देंगे/
सब सुभ कर्मो को हर लेंगे//
जो कल था कल हि रेह्ने दो वो आज कभि ना बन पाए/
भुतो वाली भुख ह ये वर्त्मान ना खा जाए//
वर्तमान नवसाखा है नवजीवन है नव योवन है/
वर्तमान नवउजियारा नवदिशा नवदर्शन है//
वर्तमान मे जिने का आनंद अनोखा होता है/
एसा गर ना हो तो फिर जीवन से धोखा होता है//
© Copyright 2016 dev (devn at Writing.Com). All rights reserved.
Writing.Com, its affiliates and syndicates have been granted non-exclusive rights to display this work.
Printed from https://www.writing.com/main/view_item/item_id/2072460-