'लाइफ' में जो एक ना एक बार होता है,
दिमाग से नहीं जो 'दिल' से रिलेटेड होता है,
सबके 'यौवन' में जो मोस्ट 'कॉमन' होता है,
क्या यही प्यार होता है??
ना दिन में चैन ना रात में होता है,
उनके 'दीदार' को दिल 'बेकरार' होता है,
उनका आना 'वसंत' तो जाना 'पतझड़' हो जाया करता है,
क्या यही प्यार होता है??
ना भूख लगती है,ना प्यास लगती है,
जब रात सिर्फ 'तारों' के साथ कटती है,
जब 'अमावस' को भी 'चाँद' का इंतज़ार होता है,
क्या यही प्यार होता है??
हाँ-हाँ यही प्यार होता है,
जो 'उम्र' के बंधन से आजाद होता है,
'धर्म','जाति' के आर-पार होता है,
हर 'राज' को जिसका इंतज़ार होता है,
सचमुच यही प्यार होता है!!
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