त्योंरियाँ आज चढ़ी हैं, हमसे वो नाराज़ हैं,
जाने हमारी किस बात पे, हमसे वो बेज़ार हैं,
वो बताते नहीं हमारी खता हमें , बस इल्जाम लगाए जाते हैं,
अपने लबों पे खामोशी का पर्दा डाळ , सज़ा हमें दिए जाते हैं
जाने किस मुददत में, कुछ किया था हमने
यही सोच कर, मजनून हम हुए जाते हैं
उनको मजरूह करने का तो कोई इरादा ना था कभी,
चेहरे को देख उनके, बस यही माफ़ी की गुजारिश हम किये जाते
All Writing.Com images are copyrighted and may not be copied / modified in any way. All other brand names & trademarks are owned by their respective companies.
Generated in 0.06 seconds at 2:58am on Nov 22, 2024 via server WEBX1.