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This story is about religion and humanity, why humanity cannot be only reason. |
शहर जल रहा था! मंदिर टुटा था ,शायद किसी मुस्लमान ने तोडा था.सही कहते है हमारे श्याम चाचा मुस्लमान के खून में ही अहिंशा है. चाचा हमारे मोहल्ले के ही थे! विधायक थे , राजनीती में भोत दिलचस्पी थी उनकी मगर logical बातें किया करते थे.मंदिर टुटा था , तो हमें भी कुछ करना था, अगर ना करते तो कायरता दिखती और हम अपने भगवान् के लिए ना करे तो कौन करेगा? तो बहोत से हिन्दू सड़को पर निकले , मुस्लिम भी, शहर जल रहा था! कहीं मंदिर तो कहीं मस्जिद दोनों! किसी मुस्लमान को कहीं काटा जा रहा था तो कहीं हिन्दू औरतों और बच्चो को जलाया जा रहा था, हमने अपने बचपन में सुना था मोहब्बत और जंग में सब जायज है,तो ये भी तो जंग थी! मोहन एक सोलह साल का लड़का था उसी जंग में मोहन के सामने एक महज 4 या 5 साल का लड़का खड़ा था जिसके सर में मुस्लिम टोपी थी, हाँ मुस्लिम टोपी क्यूंकि उस टोपी का भी मजहब होता है! मोहन को उस बच्चे में बस टोपी दिख रही थी,मोहन की आँखे गुस्से से लाल थी,चेहरे पर अजीब सी तनाव के साथ उस बच्चे को देख रहा था,मानो वो वहीँ मुसलमान उसे दिख गया हो जिसने मंदिर तोड़ी थी,मोहन ने पास पड़ा पथ्थर उठाया और मार मार कर उस बच्चे के सर को कुचलने लगा, वह तब तक नहीं रुका जब तक उसके साहिर और कपडे खून से गीले ना हो गए! सायद मोहन को खुसी मिली थी , शायद वो बच्चा वही मुसलमान था जिसने मंदिर तोडा , आखिर उसे मंदिर तोडना तो आता ही होगा! शायद आज भगवान् को या अल्लाह को शांति मिली होगी , क्युकी उनके घरों को और उनके अस्तित्वा को बचाने के लिए ही तो आज ना जाने कितने राम और रहीम कुर्बान कर दिए गए! शायद ! शायद शयाम चाचा सही कहते है! आखिर इंसानियत की पहचान धर्मो से ही तो होती है , तभी तो शिक्षा के अस्थान पे मंदिर और मस्जिद के नाम पर लोग राजनेता चुनते है, तभी तो हम आज facebook और instagram पे ये बोलते दीखते है के आज जब किसी हिन्दू लड़की के जिस्म को उंधेड दिया गया तो bollywood के लोग चुप क्यों है , तभी तो चार लोग मिल कर एक मुस्लिम को बेपाक कर जातें है तो लोग ये बोलते है के राजनेता चुप क्यों है?, शायद आज पसु और इंसानो में जाती और धर्म का ही तो अंतर है! शायद धर्म से ही तो सभ्यता की प्राप्ति होती है ! शायद विधायक जी सही कहते थे ! पंक्तिया- तुम कहते हो वो दुसमन है ! अगर वो दुसमन है तो मेरे जैसा क्यों दीखता है ? और अगर मेरे जैसा दीखता है, तो फिर दुसमन क्यों है ? तुम कहते हो के वो कर रहा अपने मजहब की रखवाली! तुम्हे भी अपने धर्म को बचाना है! मै पूछता हूँ के रखवाली ही जब दोनों का उद्देश्य है, तो फिर ये जंग क्यों है? |