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by Jogi Author IconMail Icon
Rated: E · Poetry · Political · #1590387
a small poem!
कभी हार न मानी है मैंने

हमेशा हराया ही है ,

इन परिस्थितियों को ,इस समाज की रुढिवादी दीवारों को

और आगे भी यही करूंगा

न हरूँगा और न ही हारने दूँगा ..

अपने इस मन को

जो कभी कभी चंचल हो जाता है,

हार जाता है इस दुनिया के सामने , परिस्थितयों के सामने

पर जानता हूँ

कुछ भी हो

रात कितनी भी काली हो ...एक तारा हमेशा ही चमकता रहता है ,

वैसा ही हूँ मैं

एक तारा जिसके मनन में है विश्वास

और

और है साहस ,हिम्मत और अटूट आशाओं की लड़ियाँ

और चला जाऊंगा मंजिल की और

मुझे है विश्वास

है विश्वास

है विश्वास !!

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