कुछ घर में बैठे खा रहे हैं
मैं Youtube पर ही पकवानों को देख
अपना मन बहला रहा हूँ
Lockdown की मायूसी में, फिर भी मुस्कुरा रहा हूँ।
सब्ज़ी भी भाव खा रहे हैं
दाल-चावल की जुगलबंदी को देख
दो-दिन ही खाना बना रहा हूँ
Fridge के भरोसे, खुद को चला रहा हूँ|
अब तो Laptop भी गुर्राता है
दिन-रात जो उसको भगा रहा हूँ
Work from home के चक्कर में
पानी सा Data बहा रहा हूँ।
Free validity की अफवाओं में
थोड़ी देर तो खुश हो जा रहे हैं
Recharge notification की मार देख
Cashback codes भी नहीं आ रहे हैं।
News channels प्रवक्ताओं की भाग दौड़
उन चेहरों की चमक उतार रही है
आशा है रामायण और महाभारत
नई पीढ़ी को सुधार रही है।
कोरोना की इस महामारी में
कितने अपनों को खो रहे हैं
ये कमाल उन Doctors तथा सुरक्षा एवं सफाईकर्मियों का है
जो बांकी सब चैन से सो रहे हैं।
पता नहीं ये लड़ाई कब ख़त्म होगी
भरोसा तो है जीत हमारी ही होगी
क़ानून तथा Social Distancing का कड़ाई से पालन करें
वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना रख
आओ इस महामारी पर वार करें।
All Writing.Com images are copyrighted and may not be copied / modified in any way. All other brand names & trademarks are owned by their respective companies.
Generated in 0.06 seconds at 4:15am on Nov 27, 2024 via server WEBX1.