This poem is on hindi and English |
हिंदी का निवाला, अंग्रेजी का बोलबाला, हां भई अंग्रेजी का बोलबाला. राष्ट्रभाषा हुई शर्मिंदा, आया जबसे अंग्रेजी दरिंदा. चलाया उसने काला जादु, बोलने को हुए सभी बेकाबु. हिंदी का निवाला………… इन न्युज ऍनलों को देखो, खाते हॅं रोटी हिंदी की, करते वकालत अंग्रेजी की, विदेशी कंपनियां हॅं इन्हें बडी भाती. हिंदी का निवाला……………… माडर्न कल्चर तो देखो, शरम आती इन्हें बोलने को हिंदी, बढकर इससे होगी ऑर क्या शर्मिंदगी ? हिंदी की तो बात न करो, अंग्रेजी ही ये खाते हॅं. हिंदी का निवाला……………… जिस हिंदुस्तान के मान की खातिर, दी थी अनगिनत वीरों ने कुरबानी. वकालत पढ विदेशों मे गांधी, न भूले थे राष्ट्रभाषा अपनी, आजादी के नारों में था दम राष्ट्रभाषा का. हिंदी का निवाला……………… हो जाती हॅं भारत मां भी शर्मिंदा, करते जब लोग हिंदी की निंदा, अंग्रेज गये पर छोड अंग्रेजी, बढावा दे रहे इसे भारत के बंदर नकलची. हिंदी का निवाला……………… भ्रष्ट राजनेता भी हॅं इस करतुत में शामिल, कहते हिंदीभाषी नही हॅं किसी काबिल. मतदान पाने को सदा बेकसुरों को आजमाएं, सियासी खेल में सदा हिंदी को उलझाएं. हिंदी का निवाला……………… पाठशालाओं में हिंदी हुई नाममात्र, अंग्रेजी को कर दिया अनिवार्य. देश के भविष्य को ही हिंदी की एहमियत मालुम न हुई, राष्ट्रभाषा ही आज अपने देश में पराई हुई. हिंदी का निवाला……………… हिंदी का निवाला, अंग्रेजी का बोलबाला, हां भई अंग्रेजी का बोलबाला. राजश्री राजभर |