\"Writing.Com
*Magnify*
SPONSORED LINKS
Printed from https://www.writing.com/main/view_item/item_id/1615713-royal-park-london
Item Icon
\"Reading Printer Friendly Page Tell A Friend
No ratings.
Rated: E · Other · Personal · #1615713
Here is a short discription of an incident which opened many questions to deliberate

रोयल पार्क लन्दन
आज  रोयल  पार्क में एक अप्रत्याशित घटना,
मेरा मन विचलित कर गयी I
भारतीय सोच मर्यादित या फिर संकुचितt
इस पर पुनः विचारार्थ प्रेरित  कर गयी II

सामने से आती एक हम उम्र महिला ने ,
मुख पर म्रदु  हास ले,
गुड मोर्निंग बोल दिया I
गुड मोर्निंग मैम, हाउ आर यु कह,
हमने भी जैसे बराबर ही तोल दिया II

लेकिन जो बात बढ़ी  वह कुछ अजीव थी I
बात तो छोटी थी पर सजीव थी II
"आई ऍम फाइन स्वीट हार्ट" कह आगे चली गयी I
मन मेरा भ्रमित हुआ बुध्ही छली गयी II

क्या यह कोई साजिश थी या वशीकरण तंत्र था I
या फिर खुशियाँ विखेरने का महा मूल मंत्र था II
सोचा क्यों न इन जुमलों को यथा तथा प्रयोग करुँ I
दुखियारे मन को कुछ मीठे पल दूं कुछ व्यथा हरुँ II

घटना अकेले न पची मित्र को लिख दिया
मित्र ने देर न की ताबड़तोड़  उत्तर यों दिया
उससे कह  दो अपना रास्ता ठीक से चले
किसी भोले भाले दिल को व्यर्थ,न छले
किसी को अकेले मैं  पा मुस्कराना आपकी
तहजीब होगी, पर खालिस हिदुस्तानी दिल
तीन दिन तक फड़कता है
कह  तो दिया मित्र ने पर मन में कहाँ चैन था 
महिला की झलक पाने को दिल बेचैन था
बोले कैसी होगी वो जिसने गज़ब ढा दिया
एक ठूठ को लहलहाता कवि बना दिया

ऐसा ही हुआ था  और हो रहा था
दिल उसे याद कर हर क्षण रो रहा था II
पत्नी ने पूछा क्या काम कर रहे हो I
लैपटॉप खुला है.कुछ लिख नहीं रहे हो II
बोली कल से में भी साथ चलूंगी I
जैसी तुम् दलते हो में भी दाल दलूँगी II

अगले दिन  महिला फिर से प्रकट हुयी I
साथ साथ चलते चलते जैसे ही निकट हुयी II
हमने वह कह दिया जो मित्र  ने कहा था I
फिर वह बयां किया जो अब तक सहा था II
बोली स्वीट हार्ट अपने दिल को संभालिये I
छोटी छोटी बातों का अर्थ न निकालिए II
कहाँ से आये हो क्या देश है तुम्हारा  I
पत्नीव्रत निभाया विताया जीवन सारा II
अब तो सारे देशों की आयो हवा अलग है I
कोई किसी के साथ बिन कारण कोई अलग है II
धोखा धरी गवन यह है आधुनिक कलाएं I
कैसे भी प्रयोग करें पर धन कमायें II
सिद्धांत भारत के कुछ काम न आयेंगे I
निराश शक्ति हीन हो सब बिखर  जायेंगे II
अच्छा यही की तुम अब भी मान जाओ I
जिधर चले हवा पीठ उधर ही दिखाओ II
इतना कह बोली वह अब हम चलेंगे I
हमको है पूरा यकीं  कल फिर मिलेंगे II
पत्नी बोली रोज रोज क्या धृष्ट काम करते हो I
जाते हो स्वास्थ लाभ पर बुद्धी  भ्रष्ट करते हो II
मैंने कहा प्रिये यह यथार्थ नहीं कल्पना है I


पूरी रंगोली नहीं छोटी सी अल्पना  है II
पत्नी ने कुछ सोच कर लगा दिया प्रतिवंध  I
नारी  की कल्पना कर कोई  गीत न छंद II
सामाजिक अपवादों  का जग में पारावार I
कोई भी लेकर करो सार्थक  शुद्ध विचार Ii
ज्ञान बढे बुध्ही बढे बढे विचारक शक्ति I
यदि ठीक से कर सको अनुभूति अभिव्यक्त II
बात समझ में आगई बुध्ही हुयी सचेत I
मन बेवश वश हो गया, प्रेम पिपाशा खेत II

श्रीप्रकाश शुक्ल लन्दन ११ अगस्त 2009
© Copyright 2009 veteran (sprakash40 at Writing.Com). All rights reserved.
Writing.Com, its affiliates and syndicates have been granted non-exclusive rights to display this work.
Printed from https://www.writing.com/main/view_item/item_id/1615713-royal-park-london