Memories of the departed. |
YOUR THOUGHTS Far from you in lonely night, As my memories rally, I feel as if a spirit Pervades yet in this valley. We had walked together once The paths of love, you and I. Those paths lie there as such, yet, Looking at them I feel shy. It’s a long time since you left But I can yet hear your call. You do exist for me as The songs of past I recall. Though you are not by my side, Your lyrics ring in my ear. Your memories are my life. Their loss is what I so fear. May you rest in serene peace, Wherever you may be now. I won’t call or disturb you. I feel you’re with me somehow. * Written in abcb rhyme, 7-7-7-7 meter * Written on 11 October 2008 as a translation of my Hindi ghazal given below, which was written on 3 January 2005. M C Gupta 11 October 2008 *************** २६२. सुनसान रातें, तन्हाई का आलम, तुम्हारी मुझे आज याद आ रही है सुनसान रातें, तन्हाई का आलम, तुम्हारी मुझे आज याद आ रही है वादी की ठंडी हवाओं में ऐसे लगे है कोई रूह मंडरा रही है था वक़्त कोई चले साथ थे हम सुहाने कहीं प्यार के रास्तों पर वो रास्ते तो वहीं पर हैं लेकिन , नज़र उनसे मिलने से कतरा रही है बिछुड़े हुए अब बहुत दिन हुए हैं, सदाएं मगर आ रहीं हैं अभी तक यूँ लग रहा है कि माज़ी के पर्दे से सूरत कोई आज मुस्का रही है तुम तो नहीं हो मेरे पास लेकिन तुम्हारे तराने अभी भी जवां हैं यादों का आलम न बिखरे कभी भी, यही बात बस दिल में दोहरा रही है जिस हाल में हो जहां हो रहो ख़ुश, तुम्हें अब न हम कोई आवाज़ देंगे हमसे ख़लिश दूर हरगिज़ नहीं हो, ये अहसास हर साँस करवा रही है. |