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POETRY ON MAA BY PRIYANSHU |
[Introduction]
माँ सब जानती है, तुझे खुद से भी ज्यादा पहचानती है, लाख कोशिश कर तू छिपाने की, तेरे हर सुख-दुख को वो जानती है | …1 खुद जागकर तुझे सुलाती है, खुद रोकर तुझे हंसाती है, तन्हा रहती है खुद मगर, तेरा साथ हमेशा निभाती है, माँ सब जानती है | …2 जब तुझे चोट लगे तो सिसकती है माँ, जब तू गलती करे तो समझती है माँ, तू ही तो है माँ का लाडला, जब तेरी आँखे भीगे आंसुओं से, तो अपना आँचल देती है माँ, माँ सब जानती है | …3 उसकी हर दुआ कबूल है, वो तो ममता का एक फूल है, शायद तभी भगवान से भी ऊपर आती है माँ, एक सच्चा दोस्त कहलाती है माँ, तुझे ना हो फुर्सत एक पल भी उसके लिए, उसका हर पल हर लम्हा है तेरे लिए, माँ सब जानती है | …4 पर आज मैं दूर हूँ, खुद से मजबूर हूँ, उलझा हूँ ज़िन्दगी के सफर में, चल रहा हूँ माँ तेरे सपनो की डगर पे, चाहत है तुझे खुश रखने की, मुझे पता है माँ तू सब जानती है | |
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