Miscellaneous poems which could not fit as individual items. |
YOU CAST SPELL IN A MOMENT: bilingual You cast spell in a moment. My heart in your thoughts is spent. I searched for you incessant; Then I found you while I dreamt. You have left me so alone, I am helpless, woe-begone. Cold and dark is every night; No moon rays and no star light. For others’ woes none bothers; Yet I told mine to others. In each heart I love did seek; In none I found a love streak. My life, too short and unsure, I spent in memory your. Now this heartache carry I In my ever misty eye. When my heart drips tears of blood, Then why should not eyes too flood? --Written in aa, 7-7 format. --Translated from my Hindi ghazal given below. --M C Gupta 12 August 2011 ORIGINAL HINDI GHAZAL WRITTEN ON 4 FEBRUARY 2003 २. दो पल को आए और लुभाके चले गए दो पल को आए और लुभाके चले गए पर ख़्याल उनके दिल में समाते चले गए ढूँढा किए उनको मगर न पा सके ख़बर वो न मिले तो ख़्वाब में लाते चले गए वो क्या गए कि हो गई तनहाई सी बरपा सारे ज्यों ज़िंदगी के सहारे चले गए अब सब तरफ़ है सर्द अंधेरों की रौशनी मेरे तो सारे चाँद सितारे चले गए औरों को न परवाह है ये जानते हैं पर हम दर्द हर किसीको दिखाते चले गए दिल लग सका कहीं न पर इक आस को लिए हम दिल को हर किसीसे लगाते चले गए थे ज़िंदगी के चार दिन हमको फ़कत मिले यादों में उनकी उम्र बिताते चले गए दिल तो गया है टूट पर अहसास है बचा भीगी पलक से दर्द गिराते चले गए दिल पी रहा था खून के आँसू मगर ख़लिश आँखों से अपनी अश्क बहाते चले गए. महेश चन्द्र गुप्त “ख़लिश” ४ फ़रवरी २००३ |